जनादेश एक्सप्रेस/लखनऊ। राज्य सरकार गृह, वित्त, ऊर्जा और सूचना प्रौद्योगिकी सहित सभी विभागों के डिजिटल बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए साइबर सुरक्षा नीति लाएगी। सरकार का प्रयास है कि राज्य की साइबर सुरक्षा नीति में ऐसा मॉडल स्थापित किया जाए, जो जी-20 देशों के डिजिटल इकोनॉमी वर्किंग ग्रुप के लिए भी मिसाल बने।
प्रदेश में सोशल मीडिया और फोन कॉल के जरिए प्रतिदिन साइबर अपराध की घटनाएं हो रही हैं। बीते दिनों में कुछ सरकारी महकमों की साइट हैक करने के मामले भी सामने आए थे। इस तरह की समस्याओं के समाधान के लिए सरकार साइबर सुरक्षा नीति लेकर आ रही है। नीति का मसौदा तैयार करने के लिए आईआईटी कानपुर, पुलिस, एकेटीयू, यूपीडेस्को, यूपीएलसी और सेंटर फॉर ई गवर्नेंस के तकनीकी विशेषज्ञों की एक कमेटी गठित की गई है।
मार्च में नीति जारी की जाएगी
कमेटी ने सरकारी महकमों के क्रिटिकल डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को सुरक्षित रखने के लिए फायर वॉल तैयार करने, सिस्टम में एंटी वायरस अपलोड करने, डाटा हैक होने पर तुरंत सभी महकमों को सूचित करने, हैक हुई सूचना को तुरंत रिकवर करने जैसे मुद्दों पर प्रस्ताव तैयार किया है। प्रदेश सरकार इसके लिए केंद्र सरकार के कम्प्यूर इमरजेंसी रेस्पांस टीम (सर्ट इन) के साथ भी समन्वय करेगी।
सूत्रों का कहना है कि बीते दिनों लखनऊ में आयोजित जी-20 की डिजिटल इकॉनमी वर्किंग ग्रुप की बैठक में एमएसएमई में साइबर सिक्योरिटी, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर में साइबर सिक्योरिटी में जो विषय सामने आए हैं, उन्हें भी इस नीति में शामिल किया जाएगा, ताकि नीति जी-20 समिट के जरिए देश में मिसाल बने। आगामी दिनों में नीति का मसौदा जनता के सुझाव के लिए जारी किया जाएगा। मार्च में नीति जारी की जाएगी।
सी सर्ट का होगा गठन
केंद्र सरकार के सीईआरटी-इन की तर्ज पर यूपी के लिए सी-सर्ट (स्लोवेनियाई कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम) का गठन किया जाएगा। सी-सर्ट विभागीय डाटा सुरक्षित रखने के साथ ही ऑनलाइन टेंडर, ऑनलाइन आवेदन, ऑनलाइन भुगतान और ऑनलाइन परीक्षाओं की मॉनिटरिंग भी करेगा। साइबर सुरक्षा को लेकर राज्य से लेकर जिला स्तर तक सभी विभागों को अलर्ट रखा जाएगा।