UP में कांग्रेस नहीं बनेगी पिछलग्गू, SP-BSP से गठबंधन पर असमंजस!

याद कीजिए थ्री इडियट्स फिल्म का वो डॉयलाग, जब दोस्त फेल हो जाए तो दुख होता है, लेकिन अगर टॉप कर जाए, तो ज्यादा दुख होता है. कुछ ऐसा ही रवैया इस समय एसपी-बीएसपी का कांग्रेस के साथ है.

2014 लोकसभा के बाद हाशिये पर आई एसपी-बीएसपी और कांग्रेस पूरी तरह गठबंधन के मूड में थे. इसे बनाने के लिए अखिलेश ने सबसे ज्यादा सक्रियता दिखाई, लेकिन समझौते की धुरी कांग्रेस को ज्यादा ही ‘दीन-हीन’ समझा गया.

हालांकि तीनों राज्यों में कांग्रेस को अगर जीत न मिलती, तो शायद पुराने समझौते में जो भी मिल रहा था, वहीं ज्यादा होता. लेकिन अब सूरत पूरी तरह बदल गई है.

कांग्रेस की जीत पर मायावती ने जो कहा, उस पर गौर कीजिए:

“बीजेपी की गलत नीतियों और प्रणाली से जनता त्रस्त हो गई थी, इसलिए दिल पर पत्थर रखकर तीनों राज्यों की जनता ने न चाहते हुए भी वहां पूर्व में रही कांग्रेस को अपना विकल्प समझकर वोट दे दिया”

गोरखपुर, फूलपुर और कैराना लोकसभा उपचुनावों में बीजेपी की हार के बाद एसपी-बीएसपी अप्रत्याशित तरीके से नजदीक आई. वैसे जीत भी चमत्कारी थी. लिहाजा एसपी-बीएसपी के टूट रहे मनोबल को मजबूती मिली और एक-दूसरे के जानी दुश्मन, बीजेपी को खदेड़ने के लिए साथ लड़ने का संकेत देने लगे.

कांग्रेस को भी इसमें शामिल किया गया, लेकिन बड़े ही बेचारेपन से, यानी यूपी की 80 सीटों के बंटवारे के लिए मोटे तौर पर बने फॉर्मूले में उसके लिए 10 से 12 सीटें छोड़ी गयीं, जिस पर वह मौन रही और समय बीतता रहा. इससे एसपी-बीएसपी, दोनों नाराज दिखे.

मायावती ने मध्य प्रदेश और छत्‍तीसगढ़ में अजित जोगी से गठबंधन कर कांग्रेस को नजरअंदाज किया, लेकिन इन सबकी परवाह किये बगैर राहुल गांधी ने राजनीतिक परिपक्वता दिखायी और शान्त रहे. नतीजा सामने है.

अब कांग्रेस पिछलग्‍गू नहीं बनेगी?

तीनों राज्यों में कांग्रेस की जीत ने उसकी बारगेनिंग पावर बढ़ा दी है. यह समझना होगा कि 2014 आम चुनाव में 44 सीटों में सिमटने के बाद भी बीजेपी के खिलाफ तैयार हो रहे गठबंधन की धुरी के तौर पर कांग्रेस के अलावा दूसरा कोई विकल्प सामने नहीं आया था. अब माहौल कांग्रेस के पक्ष में रुख करता दिख भी रहा है. लिहाजा कांग्रेस सीटों के बटवारे में पिछलग्गू बनने वाली नहीं है.

ऐसे में महागठबंधन में एसपी-बीएसपी कैसे फिट बैठेगी, जिसे लीड अब कांग्रेस, यानी राहुल गांधी करेंगे. गठबंधन की गांठें किसके लिए, कितनी खोलनी और किसके लिए कितनी बंद करनी है, ये भी कांग्रेस के ही हाथ में ही होगा.

फ्लैश बैक में चलते हैं. याद कीजिए 2009 का आम चुनाव:

  • समाजवादी पार्टी : 23 सीटें
  • वोट: 23.26%
  • कांग्रेस : 21
  • वोट :18.25%
  • बीएसपी : 20 सीटें
  • वोट : 27.42%
  • बीजेपी :10 सीटें
  • वोट : 17.50%
  • आरएलडी : 5 सीटें

अब तक एसपी-बीएसपी कभी भी कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव नहीं लड़ी है. 2009 में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने 21 सीटें पाई थीं. बाद में मुलायम सिंह यादव और मायावती ने यूपीए को बाहर से समर्थन किया था.