जनादेश/डेस्क: छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में मंगलवार को सैकड़ों लोग कलेक्ट्रेट का गेट तोड़कर कार्यालय परिसर में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने सुकमा कलेक्टर पर बेरूखी बरतने का आरोप लगाया और उन्हें जिले से हटाने की मांग की। सर्व आदिवासी समाज की सुकमा इकाई ने मंगलवार को जिले में ग्रेड तीन और चार की सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों को शत-प्रतिशत आरक्षण देने सहित 20 सूत्रीय मांगों को लेकर कलेक्ट्रेट कार्यालय तक रैली निकाली। बाद में समाज के लोग कलेक्टर कार्यालय परिसर में प्रवेश कर गए।
DMC पर लगा कलेक्टरगीरी करने का आरोप
सर्व आदिवासी समाज के सदस्यों ने कहा कि, सुकमा जिले के DMC श्यामसुंदर सिंह चौहान उर्फ बबलू चौहान से भी लोग त्रस्त हैं. वे अपने पद से ज्यादा कलेक्टरगीरी करते हैं. सर्व आदिवासी समाज ने मांग की है कि श्यामसुंदर चौहान को उनके मूल पदस्थापना में वापस भेज दिया जाए. सुकमा के सर्व आदिवासी समाज की प्रमुख मांगों में- तेंदूपत्ता संग्राहक कर्ताओं को नगद भुगतान कर शव 100 गड्डी का 700 किया जाए, महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत लंबित मजदूरी भुगतान तत्काल किया जाए, आदिवासी के नाम से फर्जी जाति पर कार्यरत शासकीय कर्मचारियों को तत्काल बर्खास्त किया जाए.
सर्व आदिवासी समाज के सुकमा जिले के प्रमुख पोज्जा राम मरकाम ने बताया कि हाल ही में उनका एक प्रतिनिधिमंडल अपनी मांगों को लेकर कलेक्टर विनीत नंदनवर से मिलने पहुंचा था लेकिन कलेक्टर ने उन्हें समय नहीं दिया। मरकाम ने बताया कि इसके बाद आदिवासी समाज ने कलेक्टर को हटाने सहित मांगों को लेकर कलेक्टर कार्यालय का घेराव करने का फैसला किया। उन्होंने बताया कि उनकी मांगों में वर्ष 2013 में एडेसमेटा गांव में पुलिस गोलीबारी में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा और नौकरी देने तथा तीन नगर पंचायतों-सुकमा, कोंटा और दोरनापाल को वापस ग्राम पंचायतों में परिवर्तित करना आदि शामिल है।
मरकाम ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने अपना आंदोलन समाप्त करने से पहले अनुविभागीय दंडाधिकारी को अपनी मांगों के संबंध में ज्ञापन सौंपा। इधर कलेक्टर विनीत नंदनवर ने कहा है कि जिला प्रशासन हमेशा स्थानीय लोगों की मांगों पर ध्यान देता है और उस पर उचित कार्रवाई करता है। सुकमा जिले के अधिकारियों ने बताया कि कुछ लोग जिला प्रशासन को निशाना बनाने के लिए इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रहे हैं।