सीएम भगवंत मान ने कहा कि चंडीगढ़ में केंद्रीय सेवा नियमों को लागू करना पंजाब पुनर्गठन अधिनियम का उल्लंघन है। पंजाब पुनर्गठन एक्ट के तहत चंडीगढ़ को केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया था। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में केंद्र ने बाहर के अधिकारियों को तैनात किया है। इससे पहले भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) में भी फेरबदल किया। पहले बोर्ड के पद पंजाब से भरे जाते थे। मगर इसे खत्म कर दिया है, अब पूरे देश से भरे जा सकते हैं। इसके बाद चंडीगढ़ में केंद्रीय सेवा नियमों को लागू कर दिया है। भगवंत मान ने चंडीगढ़ को पंजाब को देने का प्रस्ताव पेश किया।
विधानसभा में प्रताप सिंह बाजवा ने विधानसभा परिसर में शहीद भगत सिंह, डॉ. भीमराव अंबेडकर और महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा लगाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि पंजाब विधानसभा ‘कैपिटल कॉम्प्लेक्स’ का हिस्सा है, जो यूनेस्को विश्व विरासत में शामिल है। यहां बिना चंडीगढ़ के मंजूरी के कोई भी प्रतिमा स्थापित नहीं की जा सकती है। सीएम मान ने विधानसभा में इन महान शख्सियतों की प्रतिमा लगाने का एलान किया था। ऐसे में सदन को गुमराह करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। चंडीगढ़ में केंद्रीय सेवा नियम लागू करने पर उन्होंने कहा कि विधानसभा में वोट न मिलने की वजह से भाजपा बदले की भावना से काम कर रही है। प्रस्ताव के साथ ही एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करना चाहिए। पंजाब सरकार इस मामले को सुप्रीम कोर्ट लेकर जाए।
कपूरथला से विधायक राणा गुरजीत सिंह और सुल्तानपुर लोधी ने निर्दलीय विधायक उनके बेटे राणा इंद्र प्रताप सिंह विधानसभा पहुंचे। कार्यवाही शुरू होने से पहले विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां ने उन्हें शपथ दिलाई है। इसके बाद सदन की कार्यवाही आगे बढ़ाई गई और चंडीगढ़ में केंद्रीय सेवा नियमों के खिलाफ पंजाब सरकार ने प्रस्ताव पास किया।
इससे पहले पंजाब सरकार कृषि कानूनों और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का दायरा बढ़ाने का विरोध पंजाब सरकार विधानसभा में जता चुकी है। दोनों ही मुद्दों पर पिछली सरकारों ने विधानसभा में प्रस्ताव पास किया था। बता दें कि केंद्र सरकार ने पंजाब में बीएसएफ का दायरा 15 से बढ़ाकर 50 किमी कर दिया था।
शिरोमणि अकाली दल के नेता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा आज के विशेष सत्र में प्रति माह 300 यूनिट मुफ्त बिजली और 35000 कर्मचारियों को नियमित करने की घोषणा के अलावा चंडीगढ़ मुद्दे पर एक बड़े फैसले का राज्य के लोग बेसब्री से इंतजार कर हैं।