जनादेश एक्सप्रेस/मेरठ। उत्तर प्रदेश का बजट मेरठ की भी जेब भरेगा और विकास को पंख लगेंगे। मेरठ पराग दुग्ध संघ को 30 करोड़ रुपये का बजट दिया गया है, साथ ही इन्वेस्टर्स समिट का असर भी बजट में देखने को मिला है। टेक्सटाइल पार्क से मेरठ 35 हजार लोगों को रोजगार देगा। किसानों के ट्यूबवेल के विद्युत बिल माफ किए गए हैं। रैपिड रेल और मेरठ से प्रयागराज तक एक्सप्रेसवे निर्माण के लिए बजट की व्यवस्था से यह प्रोजेक्ट गति पकड़ेंगे। खेल विवि के लिए 300 करोड़ मिलेंगे।
रैपिड रेल : प्रदेश सरकार ने भी खोला खजाना, 1306 करोड़ जारी
मेरठ-दिल्ली रैपिड रेल के लिए भारत सरकार के बाद प्रदेश सरकार ने भी अपना खजाना खोल दिया है। प्रदेश सरकार ने विधानसभा में पेश किए बजट में रैपिड रेल के लिए 1306 करोड़ रुपये जारी किए हैंं जबकि भारत सरकार पहले ही अपने बजट में इसके लिए 3596 करोड़ रुपये आवंटित कर चुकी है।
भारत के प्रथम रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) कॉरिडोर मेरठ-दिल्ली का निर्माण एनसीआरटीसी द्वारा किया जा रहा है। एनसीआरटीसी भारत सरकार (50 फीसदी), हरियाणा (12.5 फीसदी), दिल्ली (12.5 फीसदी), उत्तर प्रदेश (12.5 फीसदी) और राजस्थान (12.5 फीसदी) की राज्य सरकारों का एक संयुक्त उद्यम है।
एनसीआरटीसी पर ही एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली) में आरआरटीएस के डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी है। पिड ट्रेन के लिए जहां केंद्र सरकार धन की कोई कमी नहीं आने दे रही है वहीं, प्रदेश की योगी सरकार भी पीछे नहीं है, इसी का नतीजा है कि मेरठ से दिल्ली तक रात-दिन तेज रफ्तार से रैपिड रेल कॉरिडोर का काम चल रहा है।
14 हजार श्रमिक कर रहे रात-दिन काम
देश के पहले 82 किमी लंबे आरआरटीएस दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर में दो डिपो और एक स्टेबलिंग यार्ड समेत 25 स्टेशन बनने हैं। संपूर्ण कॉरिडोर पर 14,000 से अधिक मजदूर और 1100 इंजीनियर दिन-रात काम कर रहे हैं। कोविड-19 महामारी की चुनौतियों के बावजूद परियोजना की प्रगति निर्धारित समय सीमा के अनुसार चल रही है। अभी तक कॉरिडोर पर करीब 16 किमी वायाडक्ट, 1200 पिलर और करीब 10000 फाउंडेशन पाइल की कंक्रीटिंग की जा चुकी है। कॉरिडोर के एलिवेटेड हिस्से के करीब 56 किमी के लिए फाउंडेशन का काम पूरा हो चुका है।