जनादेश एक्सप्रेस/लालकुआं: लालकुआं से हल्दी रेलवे स्टेशन के बीच ट्रेन की चपेट में आने से हाथी का डेढ़ वर्षीय बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया। उसकी मां समेत हाथियों के झुंड ने उसे घेर लिया। ऐसे में उसका इलाज करने में वन विभाग के पसीने छूट गए। किसी तरह हाथियों को मौके से हटाया गया, तभी उसका इलाज हो सका। हादसा किस ट्रेन से हुआ इस बारे में अधिकारी कुछ नहीं बता पा रहे हैं। वनाधिकारियों के मुताबिक, रविवार सुबह हाथी का बच्चा (मादा) ट्रेन की चपेट में आने से घायल हो गया। उसकी मां उसे ट्रैक से करीब दो सौ मीटर दूर जंगल में ले गई। हाथियों के चिंघाड़ने पर वन गुजरों को घटना के बारे में पता चला।
सूचना पर डीएफओ संदीप कुमार, एसडीओ शशि देव, आरओ टांडा रूप नारायण गौतम आदि अधिकारी मौके पर पहुंचे। नैनीताल चिड़ियाघर और पश्चिमी वृत्त कार्यालय में तैनात पशु चिकित्सकों को भी मौके पर बुला लिया गया, लेकिन घायल बच्चे के पास उसकी मां खड़ी थी और आसपास कई हाथी घूम रहे थे। ऐसे में घायल बच्चे तक पहुंचना संभव नहीं था। झुंड को हटाने के लिए हवाई फायरिंग भी करनी पड़ी। घंटों की मशक्कत के बाद हाथियों का झुंड कुछ दूर हटा तब पशु चिकित्सकों ने जेसीबी आदि की मदद से इलाज शुरू किया। उसे एंटी बायोटिक और ग्लूकोज दिया गया। इलाज के दौरान हाथियों का झुंड पास ही मौजूद रहा।
इलाज के बाद शाम करीब चार बजे वन विभाग के अधिकारी और पशु चिकित्सकों की टीम लौट गई। तराई केंद्रीय वन प्रमंडल के एसडीओ शशि देव ने बताया कि घायल बच्चे को बचाकर दूसरी जगह ले जाने पर हाथी भड़क सकते हैं। इस पर टीम ने जंगल में ही इलाज कराने का फैसला किया। डीएफओ संदीप कुमार ने बताया कि वन्यजीव चिकित्सक डॉ. आयुष उनियाल और डॉ. हिमांशु पांगती के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने घायल हाथी का इलाज किया। हाथी के बच्चे की रीढ़ की हड्डी और पीठ में गंभीर चोटें आई हैं। इलाज कराने के बाद दोपहर में उसे कुछ देर के लिए होश आया। उनके स्वास्थ्य पर नजर रखी जा रही है। इसके लिए वाईफाई आधारित और नाइट विजन कैमरों की भी मदद ली जा रही है।