नई दिल्ली- देश में कोरोना से जंग जीतने के साथ ही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कवायद भी शुरू हो गई है। केंद्र सरकार लॉकडाउन के बाद आर्थिक गतिविधियों को रफ्तार देने की की कोशिश में हैं। 17 मई को लॉकडाउन का तीसरा चरण खत्म होने के बाद, शायद मैनुफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज को पूरी तरह शुरू कर दिया जाए। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस बारे में रविवार को विस्तृत गाइडलाइंस जारी की हैं। जिसमें बताया गया है कि किस प्रकार फैक्ट्रियों में कार्य शुरू किया जाएगा।
गृह मंत्रालय के मुताबिक, किसी भी यूनिट में काम शुरू होने के पहले हफ्ते को ट्रायल या टेस्ट रन माना जाए। कारखानों में सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित किया जाए। किसी भी रूप में ज्यादा उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित न करें। मंत्रायल ने कहा है कि कई हफ्तों के लॉकडाउन के बाद, हो सकता है कि कई फैक्ट्रीज के हालात फौरन काम शुरू करने लायक ना हों। फैक्ट्रीज की पाइपलाइंस, वॉल्व्स में कोई खराबी हो सकती है। केमिकल फैक्ट्रीज की स्टोरेज फैसिलिटीज में खतरा और बड़ा है। ऐसे में, फैक्ट्रियां शुरू करने से पहले उन्हें एक बार चेक जरूर किया जाए।
प्राधिकरण के सचिव जीवीवी सरमा के मुताबिक, ‘‘लॉकडाउन के चलते कई हफ्ते से इंडस्ट्रियल यूनिट्स बंद हैं। ऐसे में संभव है कि ऑपरेटर फैक्ट्री चलाने के मानक तरीके लागू न कर पाए हों। इसके चलते पाइपलाइन, वॉल्व से केमिकल लीकेज आदि का खतरा हो सकता है। फैक्ट्रियों के बंद रहने के चलते मशीनों और उपकरणों का भी मेंटेनेंस नहीं हो पाया है, लिहाजा उनसे भी खतरा हो सकता है।’’
उन्होंने सभी जिलों के जिम्मेदार अधिकारियों से कहा है कि वे सुनिश्चित करें कि लॉकडाउन के दौरान और बाद में उद्योगों को दोबारा खोलते समय सुरक्षा का खास ख्याल रखा जाए। उन्होंने कहा कि औद्योगिक ऑन-साइट आपदा प्रबंधन योजनाएं सुनिश्चित हों और मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन किया जाए।
- फैक्ट्री में चौबीसों घंटे सैनिटाइजेशन की व्यवस्था हो। हर दो-तीन घंटे में सैनिटाइजेशन किया जाए। खासतौर पर कॉमन रूम्स का, जहां लोग जमा होते हैं।
- काम पर आने वाले हर कर्मचारी का दिन में दो बार टेम्प्रेचर चेक किया जाए। जिनमें लक्षण हों, वे कर्मचारी काम पर ना आएं।
- सारी फैक्ट्रीज और मैनुफैक्चरिंग यूनिट्स में हैंड सैनिटाइजर्स, मास्क और ग्लव्स का इंतजाम हो।
- एंट्री से लेकर एग्जिट तक, वर्कर्स को सारे सेफ्टी स्टेप्स की जानकारी हो।
- फैक्ट्री में लाए जाने वाले बॉक्सेज को स्टेरिलाइज किया जाए। शिफ्ट्स में माल की डिलीवरी हो।
- वर्क फ्लोर और डाइनिंग एरिया में फिजिकल बैरियर्स लगाए जाएं ताकि फिजिकल डिस्टेंसिंग फॉलो हो सके।
- चौबीसों घंटे काम करने वाली फैक्ट्रियां शिफ्ट्स के बीच में एक घंटे का समय दें।
- टूल्स और वर्कस्टेशंस की शेयरिंग किसी कीमत पर ना हो।
- अगर जरूरत पड़ी तो फैक्ट्रीज के पास वर्कर्स को आइसोलेट करने की सुविधा होनी चाहिए।
- प्रबंधन और एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ को एक शिफ्ट में 33% क्षमता के साथ काम करना चाहिए।
- काम के दौरान टूल्स और वर्कस्टेशन कोई साझा न करे। जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त टूल्स मुहैया कराएं जाएं।
गौरतलब है कि हाल ही में विशाखापत्तनम में एलजी पॉलीमर की एक कंपनी से खतरनाक गैस का रिसाव हो गया था, जिससे 11 लोगों की मौत हो गई थी। लॉकडाउन के कारण कंपनी कई दिन से बंद थी। जिसको गंभीरता से लेते हुए मंत्रालय ने यह गाइडलाइन जारी की है।