मुख्यमंत्री जी कोई विभाग बचा नही जिसको फर्जीयों ने ठगा नही
” फर्जीवाड़ा किए गए विभागों पर एक नजर –
शिक्षा विभाग
स्वास्थ्य विभाग
सचिवालय भर्ती
उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग भर्ती घोटाला
आशा कार्यकर्ताओं की भर्ती घोटाला
विधानसभा भर्ती घोटाला
पटवारी भर्ती घोटाला
आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय भर्ती घोटाला
और भी दर्जनों ऐसे घोटाले हैं जिसकी गिनती करते करते थक जाएंगे पर घोटाले की सूची बनते बनते नहीं थकेगी “
अभय कुमार —
सीएमओ साहब का आदेश की उड़ी धज्जियां
- आदेश रोकने वाले पर हो कार्यवाही
- क्या हर मामले में मुख्यमंत्री को देना होगा ध्यान
” शिकायत कर्ता गीता बिष्ट ने मांग की है कि नियुक्ति को निरस्त करने के आदेश को दबाने वाले और नियम विरुद्ध नियुक्ति करने वाले अधिकारियों पर भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस मामले में अगर कोई कार्य नहीं होता है तो स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री के समक्ष यह मामला उठाया जाएगा ।”
जनादेश एक्सप्रेस/ देहरादून – आरकेडिया क्षेत्र के वार्ड 92 में आशाओं के नियम विरुद्ध नियुक्ति को निरस्त करने के लिए सीएमओ के आदेश कार्यालय में ही दम तोड़ रहे हैं । यही कारण है कि आज भी आशा कार्यकर्ता क्षेत्र में काम कर रही है । जम्मू का कहना है कि मामले की जांच जांच की जाएगी , पर सवाल यह उठता है कि जब नियुक्ति निरस्त करने वाले आदेश ही कार्यालय से बाहर नही निकले तो ऐसे में जाँच की उमीद बेईमानी होगी ।
विदित हो कि पीएचसी नयागांव पोलियो के आर केडिया क्षेत्र के अंतर्गत वार्ड 92 के स्मिथ नगर, राघव बिहार , श्यामपुर, केहरीगांव पितांबरपुर क्षेत्र में आशा कार्यकर्ताओं की नियुक्ति हुई थी । नियुक्ति में नियमों का पालन नहीं किया गया था । ऐसी महिलाओं को नियुक्ति दी गई थी जिनके पति और संबंधी सरकारी नौकरी में है ।
शिकायत पर सीएमओ की ओर से तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया । जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में साफ तौर पर नियुक्तियों को नियम के विरुद्ध पाया । 7 फरवरी 2023 को सीएमओ को भेजी अपनी रिपोर्ट में जांच समिति ने नियुक्तियों को निरस्त कर नए सिरे से चयन समिति का गठन कर दोबारा से चयन प्रक्रिया शुरू करने की संस्तुति की थी ।
इस पर सीएमओ संजय जैन ने इन आशाओं की नियुक्ति को निरस्त करने के आदेश जारी कर दिए थे । लेकिन 3 माह से सीएमओ के आदेश सीएमओ कार्यालय में एक दबे हुए हैं ।
आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में विजिलेंस ने खंगाले कई दस्तावेज
2022 में विजिलेंस को सौंपी गई थी भर्ती और खरीद घोटाले की जांच
जनादेश एक्सप्रेस /देहरादून – आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में हुए भर्ती और खरीद घोटाले की जांच के लिए बुधवार को एक बार फिर विजिलेंस में विश्वविद्यालय में दस्तावेज खंगाले जिससे विद्यालय में हड़कंप की स्थिति बनी रही ।
इंस्पेक्टर पंकज पोखरियाल के नेतृत्व में विजिलेंस टीम विश्वविद्यालय पहुंची और भर्ती व खरीद संबंधी दस्तावेज मांगे । विजिलेंस की टीम कई बार दस्तावेज मांग चुकी है लेकिन प्रशासनिक अधिकारी पूरे दस्तावेज देने को तैयार नहीं है । आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार के मामले सामने आए थे । 2022 में शासन ने विजिलेंस जांच की अनुमति दी थी। जांच में वित्तीय अनियमितता योग अनुदेशकों के पदों पर जारी रोस्टर को बदलने के साथ , माइक्रोबायोलॉजिस्ट के पदों पर भर्ती में नियमों का अनुपालन नहीं कराने सहित कई आरोप थे । बायो मेडिकल संकाय और संस्कृत में असिस्टेंट प्रोफेसर पंचकर्म सहायक के पदों पर विज्ञप्ति प्रकाशित करने और फिर रद्द करने की बात सामने आई । विजिलेंस इंस्पेक्टर किरण अस्वाल ने जांच की तो कई अनियमितताएं मिली । अप्रैल में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया अब मामले की विवेचना डॉ पंकज पोखरियाल को सौंप दी गई है । देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में क्या होता है और कैसे फर्जीवाड़े का खुलासा होता है ,इसके साथ कितने लोगों पर कार्रवाई संभव हो पाती है ।
उधर जा ली शपथ पत्र मामले की भी जांच नहीं हुई शुरू
कोरोनेशन हॉस्पिटल में मरीज की मौत के बाद परिजन ने सीएम पोर्टल पर की थी शिकायत

जनादेश एक्सप्रेस / देहरादून – कोरोनेशन अस्पताल में मरीज की मौत के मामले में फर्जी शपथ बनाए जाने की अब जांच अब तक शुरू नहीं हो पाई। परिजनों ने आरोप लगाते हुए सीएम पोर्टल और सीएस को शिकायत की थी ।
ड्रोन पुरी धरमपुर निवासी बंशीधर जोशी जिनकी उम्र 86 वर्ष थी उनको सांस की समस्या होने पर 2 मई को कोरोनेशन अस्पताल में भर्ती कराया गया था । 3 मई को उनकी मौत हो गई । जोशी के बेटे जगदीश ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए सीएम पोर्टल पर शिकायत की । आरोप यह था कि अस्पताल में 16 मई को जब वह दस्तावेज लेने गए तो उसमें जाली शपथ पत्र भी निकला इस पर दोबारा से सीएम पोर्टल और सीएमओ को शिकायत की । जगदीश जोशी ने बताया कि वह डीजी हेल्थ और स्वास्थ्य मंत्री से भी शिकायत कर चुके हैं, लेकिन अब तक मामले में जांच शुरू नहीं हो पाई है । अस्पताल प्रशासन या समूह की ओर से भी उन्हें कोई सूचना नहीं मिली है और ना ही उनका पक्ष सुनने के लिए किसी ने बुलाया है ।
क्या कहती हैं शिखा जंगपांगी , प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक ,कोरोनेशन
मामले की जांच के लिए 4 सदस्य टीम बनाई गई है। टीम के साथ मिलकर 28-29 मई तक जांच की जाएगी। शिकायतकर्ता का पक्ष भी सुना जाएगा डॉक्टर से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है ।
अब गौर करने वाली बात यह है कि जब कोई भी इस तरह के भ्रष्ट और भ्रष्टाचारी कार्य होते हैं तो उसमें जागती बना दी जाती है जिसमें तीन से चार मेंबर बना दिए जाते हैं जिनके द्वारा जांच रिपोर्ट सम्मिट जाती है और फिर खेल शुरू होता है भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों को बचाने का खेल ऐसे कई उदाहरण जनादेश के पास है जो यह साबित कर देंगे कि कई मामलों में जाँच प्रभावित हुए है या करवाये गए है ।जिन्हें जल्द ही प्रकाशित करके जनता के सामने लाया जाएगा ।