जनादेश एक्सप्रेस/लखनऊ। भारतीय पुरातत्व विभाग की अनुमति मिलने के बाद बीएचयू का प्राचीन इतिहास विभाग जल्द ही महावन में खुदाई करेगा। महावन की खुदाई से बभनियाओं के मंदिरों के राज खुलेंगे। संभावना है कि वहां मंदिरों का समूह या किसी बहुत बड़े मंदिर के अवशेष मिल सकते हैं। पंचक्रोशी परिक्रमा मार्ग पर स्थित महावन की खोदाई से मंदिरों की शृंखलाओं की नई कहानी सामने आएगी।
बीएचूय के प्राचीन इतिहास विभाग के प्रो. अशोक सिंह ने बताया कि पंचक्रोशी परिक्रमा मार्ग पर स्थित बभनियांव गांव की खोदाई में बहुत सी मूर्तियां मिली थीं। इससे पता चलता है कि वहां पर आठवीं और नौवीं शताब्दी का कोई मंदिर रहा होगा। महावन और बभनियांव अगल-बगल के ही गांव हैं।
बभनियांव की खोदाई से पता चलता है कि यहां पर मंदिरों का समूह रहा होगा। यहां दूसरी शताब्दी के मंदिर और शिवलिंग मिले थे। इससे पता चलता है कि यह बहुत पवित्र स्थल रहा होगा। खोदाई के बाद जब इसकी जांच होगी तो महावन और बभनियांव की कई अनसुलझी कड़ियां आपस में जुड़ेंगी। प्रो. सिंह के मुताबिक संभावना है कि वहां पर मंदिरों का समूह है या फिर कोई बहुत बड़ा मंदिर। बभनियांव और महावन में मंदिरों के ध्वंसावशेष के रूप में मूर्तियां मौजूद हैं।
प्राचीन इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. ओएन सिंह ने बताया कि पंचक्रोशी परिक्रमा मार्ग स्थल पर हम लोगों ने यूपी पोटेंशियल स्कीम के तहत सर्वे किया था। इसमें 50 से अधिक स्थानों का ब्यौरा दिया था। इसमें महावन भी शामिल था। बभनियांव और महावन की खोज हमने की थी। पहले हमने बभनियांव को चुना। खुदाई के दौरान उसमें हमें सफलता भी मिली। भगवान शिव की मूर्ति निकली। महावन बभनियां के समीप होने के कारण अध्ययन की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। महावन में प्रो. प्रभाकर उपाध्याय और प्रो. राहुल राज इस पूरे कार्यक्रम का नेतृत्व करेंगे।