जनादेश/रामनगर: देश के अलग-अलग हिस्सो में अब लगातार बढ़ते तापमान का असर देखने को मिल रहा है। इसी बीच उत्तराखंड में गर्मी शुरू ही हुई है कि जीवन दायनी कोसी नदी का जल सूखने लगा है। यही हालत रहे तो मई-जून में पानी की किल्लत होनी शुरू हो जाएगी। रामनगर इलाके की आबादी कोसी नदी के पानी पर ही निर्भर है। इसी के साथ ही कोसी बैराज से निकलने वाली सिंचाई नहरें चिलकिया, पिरूमदारा, बसई, टाडा, जस्सा गाजा, पापड़ी, शिवलालपुर, कानिया, चोरपानी, सेमलखलिया, गोजानी, चोरपानी, करनपुर, बैडाझाल समेत सभी गांवो में भूमि को सिंचित करती है।
गेंहू कटाई के बाद अब धान की बुआई के लिए पानी की जरूरत होगी। ऐसे में अभी से जल स्तर में कमी आने के कारण सिचाई में परेशानी सामने आने लगेगी। सिचाई विभाग के अधिशासी अभियंता तरुण कुमार बंसल का कहना है कि वर्तमान में गेहूं कटाई होने की वजह से सिचाई के लिए पानी की जरूरत किसानों को नहीं है। नदी का जल स्तर कम होने के कारण अगले माह से सिंचाई नहरों में एक दिन छोड़ कर एक दिन पानी देने की पुरानी रणनीति पर हम लोग काम करते है ताकि जरूरत के आधार पर सभी किसानों को पानी मिल सके। पहले कोसी नदी में पानी नही रुकता था। समय बदला पहाड़ की आबादी बड़ी तो अल्मोड़ा, बेतालघाट की आबादी को पानी देने के मकसद से बैराज बनाये गए। जिस वजह से भावर क्षेत्र में गर्मियों में पानी की कमी हो जाना स्वाभाविक है।
कुमाऊं जल संस्थान के ऐनालिस्ट राजेंद्र चंद्र बताते हैं कि अन्य मौसम में हम लोग 500 घनमीटर पानी रामनगर के उपयोग के लिए प्रतिदिन ले लेते है। आजकल 300 घनमीटर पानी ही उपलब्ध हो पा रहा है। ऐसे में मई जून में पानी की कमी हो सकती है। इस बार कोसी नदी ने अपना रुख बदल दिया है। इसलिए दिक्कत हो सकती है।