दर्जनों दरोगा अपना मूल कार्य छोड़कर जमीनों की खरीद-फरोख्त में लगे हैं
” जमीन का कारोबार करना कोई बुरी बात नहीं पर किसी मजबूर व्यक्ति के मजबूरी व लाचारी का फायदा उठाकर उसकी जमीन कौड़ियों के भाव लेना और उसको बिकवाना शायद यह उनके प्रोफेशन को सूट नहीं करता “
जनादेश एक्सप्रेस/ देहरादून – विदित हो कि आरटीआई के खुलासे में दर्जनों ऐसे थानेदारों का नाम आया है जिसने कम समय में करोड़ों की संपत्ति अर्जित कर ली, संपत्ति बनाने की कोई बुरी बात नहीं परंतु वह किसी की मजबूरी और लाचारी का लाभ लेते हुए बनाई जाए या शायद मानवता के खिलाफ है. सवाल ये उठता है कि महज कुछ सालों में एक सीमित वेतन के बल पर इतनी बड़ी संपत्ति कैसे कर ली गई, यह सोचने और समझने का विषय वस्तु है. टीम ने अपनी पड़ताल में कुछ पीड़ित और लाचार लोगों से संपर्क किया तो पता चला कि कुछ लोगों ने अपनी जमीन इसलिए गवाई क्योंकि वह मजबूर लाचार थे और न्यायिक प्रक्रिया में दौड़ भाग नहीं कर सकते थे, जिसके एवज में वह जिस थाने पर गए वहां उसे मैनेज करा करके अथवा डरा धमका करके उन जमीनों का सौदा कौड़ियों के भाव करा कर के मामले को रफा-दफा कर दिया गया. क्योंकी पीड़ित व्यक्ति चुकी न्यायिक प्रक्रिया के लिए भागदौड़ करने में असमर्थ है, इसलिए औधे सा मुंह बना अपने लाचारी व मजबूरी के साथ जीवन का खेल देखते रह गए, और उनकी गाड़ी कमाई उनके आंखों के सामने से ऐसे निकल गई जैसे हाथ से रेत फिसल जाता है. सवाल उठना लाजमी है कि ऐसे भ्रष्ट लोगों पर कार्यवाही कौन कराएगा,और ऐसे लोगों के विरुद्ध अभियान में इनका नेतृत्व कौन करेगा. अधिकतर वृद्ध दंपत्ति है, जिनकी जमीनें कौड़ियों के भाव मजबूरी या दबाव में ली गई है. कुछ तो ऐसे हैं जिन्होंने फर्जी बिल बनवा करके जमीनों पर कब्जा जमाए रखा है. लगभग 2 दर्जन से ऊपर ऐसे कर्मचारी हैं, जो नौकरी तो सरकार की करते हैं पर काम अपने गुर्गों के लिए करते हैं.ए वो गुर्गे हैं जो शहर में विवादित जमीन ढूंढते हैं, अथवा लाचार व पीड़ित व्यक्तियों की जमीन ढूंढते हैं जिनके आगे पीछे कोई नहीं हो, और किसी ना किसी व्यक्ति के द्वारा उसमें विवाद उत्पन्न करा कर मामला अपने उन आकाओ तक पहुंचाते है, जिनकी मेहरबानियों से उस जमीन को आसानी से हाथीआया व कबजाया जा सकता है. फिर खेल शुरू होता है, वर्दीधारी करोड़पति बने थानेदार उनके गुर्गे और लाचार व मजबूर ऐसे लोगों की जमीनों पर कब्जा करनें के पूर्व निर्धारित अभियान का .
अब सरकार व अन्य संबंधित पदाधिकारियों को चाहिए की ऐसे लोगो को चिन्हित कर उनपर कार्यवाही करे जो अपनी जिम्मेदारियों से विमुख किसी अन्य ऐसे कार्यों मे लिप्त है जो न्याय संगत नहीं है.
” जनादेश पड़ताल टीम के द्वारा बहुत जल्द कुछ और आर टी आई के जबाब आने के उपरांत उन कम समय मे करोड़पति बने थानेदारी की फोटो और अर्जित की गयी सम्पत्तियों के प्रमाण व पीड़ित व्यक्तियों की डिटेल के साथ प्रकाशित की जाएगी जिससे ऐसे लोगो से आम जनता को बचाया जा सके. “
” एक आम आदमी ऐसा करता है तो उसके ऊपर विभिन्न धाराओं मे कारवाही कर दी जाती है और उसे जेल मे निरुद्ध कर दिया जाता है, जबकि उनके ऊपर कारवाही के लिए थानेदार होते है पर थानेदार की यह करे व करवाए तो उस पर कार्यवाही की गुहार किससे मान लिया कारवाही भी हो गयी कुछ दिन के लिए सस्पेंड हो गए पर जल्द ही सस्पेंसन टूट जाये उसके बाद उस शिकायत कर्ता का बचाव कौन करेगा यह भी एक चुनौती व सोचने वाला विषय है “