महाराष्ट्र में शिवसेना विवाद पर फैसला आज

जनादेश एक्सप्रेस/नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट में आज यानी शुक्रवार को महाराष्ट्र में शिवसेना के विभाजन से जुड़े मामले पर सुनवाई होगी। CJI की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ इस केस को सात जजों की पीठ को रेफर करने पर फैसला सुनाएगी। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को फटकार लगाई थी। CJI ने कहा कि सरकार बनाने की प्रक्रिया में राज्यपाल को राजनीति से दूर रहना चाहिए। कोई भी धड़ा यदि सरकार बनाने का दावा करता है तो राज्यपाल को सदन में विश्वास मत सुनिश्चित करना चाहिए।

सुनवाई के दौरान राज्यपाल की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य में हॉर्स ट्रेडिंग कर सरकार का गठन किया गया। चुनाव के बाद गठबंधन तोड़कर ऐसे दलों ने सरकार बना ली, जो एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़े थे। इस पर CJI ने मेहता को टोकते हुए कहा कि सरकार गठन के बारे में राज्यपाल की ओर से इस प्रकार की टिप्पणी दलील के रूप में स्वीकार कैसे की जा सकती है।

जवाब में मेहता ने कहा कि मैं सिर्फ 2016 के नबाम रेबिया केस के फैसले का समर्थन कर इस मामले को बड़ी बेंच भेजे जाने का विरोध कर रहा हूं। शिवसेना ठाकरे की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने मामले को सात जजों की पीठ को सौंपने के पक्ष में दलील दी।

महाराष्ट्र में जून 2022 में सीएम एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक विधायकों को उद्धव ठाकरे गुट ने अयोग्य ठहराने की मांग की थी। हालांकि, ठाकरे गुट की मांग से पहले ही शिंदे गुट की ओर से डिप्टी स्पीकर सीताराम जिरवाल को हटाने का नोटिस लंबित था।

अरुणाचल प्रदेश के 2016 के नबाम रेबिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि यदि स्पीकर को हटाने की याचिका लंबित हो तो स्पीकर विधायकों की अयोग्यता प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ सकते।