आखिरकार मान लिए होते अनैतिक व लूट मार के पर्याय बने उन तथाकथित भाजपा नेताओं के बात को तो शायद ऐसे पदमुक्त नहीं होना पड़ता पर धन्य है वह माँ बाप जिन्होंने तेजबल जैसा कर्मठ व अनुशासनशील प्रशासक दिया जो पद से हटना पसंद किया पर गलत कार्यों के लिए समझौता नहीं किया और अंततोगत्वा कोपभाजन का शिकार हुआ
झूठी खबर देने व किसी पदाधिकारी के सम्मान के साथ खिलवाड़ करने वाले दोषी भाजपा नेताओं पर होनी चाहिए कार्यवाही
डबल इंजन की सरकार व धामी ज़ी के पुनीत कार्यों पर मिट्टी डालने का काम कर रहे है ऐसे छिछोरे नेता जो अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए किसी हद जाने को तैयार है
जनादेश एक्सप्रेस /देहरादून – बताते चले की भाजपाइयों ने जिस अफसर को हटवाया था वह निर्दोष निकला लापरवाही अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोप में योगेश नगर से हटाया गया जिला खाद्य अधिकारी तेजबल सिंह को क्लीन चिट मिल गई. जांच अधिकारी उधम सिंह नगर के डीएम ने सभी आरोपों को निराधार ठहराया खाद्य सचिव को भेजी अपनी जांच रिपोर्ट में डीएम ने कहा कि जिन लोगों ने तेजपाल पर आरोप लगाए थे वह सूचना देने के बावजूद सुनाई में नहीं आए. ज्ञात हो कि तेजपाल को जनप्रतिनिधियों द्वारा आरोप लगाने के बात 23 फरवरी 2023 को उधमसिंह सिंह नगर से हटाकर खाद्य आयुक्त कार्यालय से अटैच कर दिया गया था. खाद विभाग सूत्रों ने जांच रिपोर्ट मिलने की पुष्टि की उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले डीएम की रिपोर्ट प्राप्त हो गई है उसका परीक्षण भी किया जा रहा है. परीक्षण के बाद आगे निर्णय लिया जाएगा. बताते चलें कि पूर्व विधायक भाजपा नेता जिला पंचायत सदस्य निकाय पार्षदों ने खाद्य मंत्री ने भी उनके खिलाफ शिकायत की थी शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए तेजबल को उधम सिंह नगर के डीएसओ पद से हटा दिया गया था. सूत्रों के अनुसार डीएम की जांच की रिपोर्ट में कहा कि शिकायत कर्ताओं में पूर्व विधायक राजेश शुक्ला भाजपा पूर्व पदाधिकारी अनिल चौहान जिला पंचायत सदस्य रविंद्र कौर पार्षद सुनील चौहान को दो-दो बार शिकायतों पर साक्ष्य देने के लिए बुलाया गया. लेकिन शिकायतकर्ता ना तो खुद ही आए और ना ही अपने किसी प्रतिनिधि को भेजा और ना ही कोई साक्ष्य भेजा. अब सवाल यह उठता है कि ऐसे फर्जी तरीके से नेताओं द्वारा लगाए गए आरोप आत्म सम्मान में आत्महत्या कर लेता है वैसी स्थिति में ऐसे झूठा आरोप लगाने वाले नेताओं पर कार्यवाही क्या होगी. और कौन तय करेगा इसकी जवाबदेही , क्या उपरोक्त वर्णित अधिकारी कि समाज में हुई सम्मान की क्षति को पूरा किया जा सकता है, तो इसकी भरपाई कौन करेगा. इस प्रकार के तमाम सवाल खबर पढ़ने वाले को खबर को सुनने वाले लोगों के जेहन में विचरण करेगा. अब इसका जवाब कौन देगा, या इसके लिए कौन सी न्याय की प्रणाली बनेगी जिससे ऐसे बेबुनियाद आरोप लगाने वाले लोगों के ऊपर कार्रवाई हो सके और सही बात स्पष्ट तरीके से काम करने वाले पदाधिकारियों का सम्मान बना रहे . अब देखना यह है कि उस पदाधिकारी को स -सम्मान पुनः स्थापित किया जाता है और गलत सूचना देने वाले उन लोगों के ऊपर क्या कार्रवाई की जाती है.