बीजेपी को है भरोसा, 2024 के लोकसभा चुनाव में करेगी शानदार प्रदर्शन

जनादेश एक्सप्रेस/बेंगलुरू। कर्नाटक विधानसभा चुनावों का आगाज हो चुका है। कर्नाटक में भाजपा संसदीय चुनाव में राज्य की 28 लोकसभा सीटों में से 25 सीटों पर जीत का कारनामा दोहराने को लेकर उत्साहित है। वहीं कांग्रेस भाजपा को हराने के लिए मजबूत रणनीतियां तैयार कर रही है। दूसरी ओर जद (एस) और आम आदमी पार्टी (आप) भी लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की इच्छुक हैं।

हालांकि, भारतीय जनता पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि राज्य में बीजेपी की जीत का आधा काम हो गया है क्योंकि हिजाब संकट और हिंदू कार्यकर्ताओं की हत्याओं की श्रृंखला के दौरान भगवा पार्टी युवाओं और नए मतदाताओं तक बड़े पैमाने पर अपनी पहुंच बनाने में सफल रही है।

पार्टी के सूत्रों ने दावा किया है कि युवा छात्र राज्य भर में बड़ी संख्या में हिंदू संगठनों और कार्यकर्ताओं के संपर्क में आए हैं। भाजपा के सूत्रों ने दावा किया कि परिणाम आम चुनाव 2024 में देखा जाएगा जब वे पीएम मोदी को वोट देंगे। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने विधानसभा चुनाव के संदर्भ में कहा कि भाजपा के बूथ स्तर के पार्टी कार्यकर्ता राज्य के हर मतदाता के दरवाजे पर दो बार पहुंच चुके हैं।

निर्दलीय उम्मीदवारों में से एक मांड्या से सांसद सुमलता अंबरीश अब भाजपा में शामिल हो गई हैं। येदियुरप्पा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सम्मान और प्रतिष्ठा से पार्टी को चुनाव में मदद मिलेगी।

अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि येदियुरप्पा को सबसे आगे लाकर और आक्रामक तरीके से कर्नाटक में प्रचार करके, केंद्रीय नेतृत्व न केवल विधानसभा चुनावों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, बल्कि संसदीय चुनावों पर भी उनकी निगाहें टिकी हुई हैं।

विधानसभा चुनावों में सत्ता में वापसी की भविष्यवाणी करने वाले आंतरिक सर्वेक्षणों से उत्साहित बीजेपी कर्नाटक से 20 से अधिक लोकसभा सीटें जीतने की रणनीति बना रही है।

वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि एक बार जब वे कर्नाटक में सत्ता पर काबिज हो जाएंगे, तो बदलाव होगा और कांग्रेस उम्मीदवारों के खिलाफ भगवा पार्टी की संभावनाएं कम हो सकती हैं।

कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार अपने संगठनात्मक कौशल के लिए जाने जाते हैं और उनकी तुलना भाजपा के येदियुरप्पा से की जाती है। शिवकुमार ने मौजूदा विधायकों और एमएलसी सहित अपने उम्मीदवारों को खींचकर भाजपा और जद (एस) को कुछ झटका दिया था। शिवकुमार और उनके भाई डी.के. शिवकुमार के प्रयासों के कारण कांग्रेस एक सीट जीत सकी और राज्य में नाम बचा सकी।