सरकार से नहीं मिली मदद तो बांस से बना डाली महासेतु,

कोसी पर ग्रामीणों ने 5 लाख चंदा करके बना डाला ‘महासेतु’, 1600 बांस, 1575 मजदूरों ने किया काम

जनादेश/पटना

कहते हैं कि मुर्दा लोग कभी सही समाज का निर्माण नहीं कर सकते हैं। लेकिन अगर वह ठान ले तो असंभव कार्य को भी संभव बना सकता है। कुछ ऐसा ही बिहार के सहरसा जिला के लोगों ने कर दिखाया है। प्रतिदिन होने वाली असुविधा को कम करने के लिए इन लोगों ने जो किया वह ना सिर्फ काबिले तारीफ है बल्कि बिहार सरकार के गाल पर तामाचा है। जिस राज्य में नीतीश कुमार जैसे सीएम हो, जो विकास करने के लिए जाने जाते हो, वहां अगर ऐसी स्थिति है तो समझ लीजिए कि बिहार में अभी और बहुत कुछ करना बाकी है। कोसी के बेलबारा-कठडुमर घाट पर बांस-बल्ले से महासेतु का निर्माण किया गया है। स्थानीय लोगों की माने तो इस पर पांच से छह लाख रुपए खर्च आए हैं। बिना सरकारी मदद से लोगों ने आपसी चंदा कर इसे बनाया है। इस पुल से गुजरने के लिए प्रति व्यक्ति 10 रुपये, बाइक सवार से 20 रुपये, साइकिल सवार से 10 रुपये भाड़ा लिया गया है। दोनों पुल से प्रतिदिन औसतन 5000 से 6000 की आमदनी होती है। कहा जा रहा है कि इस पुल में 1600 बांस लगे हैं ओर 1575 मजदूर ने काम किया है। बेलबारा-कठडुमर घाट पर आने जाने वाले लोग कहते हैं कि इस पुल को बनाने के लिए यहां के लोगों ने जो प्रयास किया है वह स्वागत करने योग्य हैं। पहले हमें नाव से नदी पार करना होता था। लेकिन अब आसानी से हम मोटरसाइकिल और रिक्शा सहित धार पार कर लेते हैं। बताते चले कि कुछ दिन पहले ही दरभंगा में भी ग्रामीणों ने बलान नदी पर चचरी पुल बनाकर असंभव को संभव कर दिखाया।सुशासन सरकार में किसी ने नहीं दिया साथ तो दरभंगा में ग्रामीणों ने बलान पर बना डाली दो मंजिला पुल : महज 37 वर्ष की उम्र में विजय मुखिया ने बांस एवं तार से दो मंजिला पुल बनाकर न केवल अपनी कमाई का महत्वपूर्ण जरिया बना लिया बल्कि लोगों के लिए आवागमन की सुविधा दी है। इससे दोनों तरफ के तीन पंचायतों के 30 हजार लोगों को फायदा मिलेगा। लोहे, सीमेंट, गिट्टी एवं बालू से मिले दो मंजिला पुल बहुत जगह देखने को मिलता है लेकिन बांस, ताड़ पेड़, रस्सी एवं बालू से मिलकर बनाया गया यह दो मंजिला पुल अपने आप में अजूबा है। अब गांव डोली नाव से नहीं पुल से गुजरेगी।बारात नाव से नहीं पुल होते आएगी। जिला मुख्यालय से तकरीबन 75 किलो मीटर दूर जिले का सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित प्रखंड है कुशेश्वरस्थान पूर्वी। इस प्रखंड क्षेत्र में कई नदियां बहती हैं। तकरीबन चार से पांच माह यहां के लोग नाव के सहारे जिंदगी काटते हैं। उसरी पंचायत के हरिनाही गांव में कमला बलान नदी गुजरती है। बाढ़ के समय यह नदी बिकराल रूप धारण कर लेती है। नाव ही आवागमन का एक मात्र साधन रहती है। उफनाती नदी में जान हथेली पर रख कर लोग नाव के सहारे आवागमन करते हैं। नाविक हैं विजय मुखिया। विजय हाल साल गांव के पास आस लकड़ी का पुल बनाकर लोगों को आवागमन की सुविधा मुहैया कराता था।
इन गांवों के लोगों के लिए आसान हुआ आवागमन :
इस पुल के बन जाने से उसड़ी पंचायत के हरिनाही, कौनिया, कोला, उसड़ी, सगरदीना, इटहर पंचायत के समौड़ा, बसबरिया, भिण्डुआ पंचायत के श्रीपुर गोबराही गांवों के लोगों का सड़क संपर्क सुगम हो गया है। उजुआ, सिमरटोका एवं तिलकेश्वर पंचायत के अलावा पड़ोसी जिले सहरसा जाना भी आसान हो गया है|

जनादेश अख़बार का अपने हॉकर से मांग करे !

लोगों ने जताई खुशी :
ग्रामीण रामइकबाल राय, श्याम मुखिया , लक्ष्मी यादव ,पप्पू राय, रामबली राय, सूरज मुखिया, बेचन राय, गणेश प्रसाद, श्याम कुमार ,जदयू प्रखंड अध्यक्ष राजेश राय आदि ने बताया कि इस पुल के बन जाने से आवागमन की सुविधा बहाल हो गई। पहले नाव के सहारे नदी पार करना पड़ता था। मरीजों और वाहन चालकों को सबसे बड़ी राहत, 4 से 5 महीने यह क्षेत्र डूबा रहता है पानी में, होती है परेशानी
फूलतोड़ा सड़क का शीघ्र होगा निर्माण :
जिला पदाधिकारी डॉ.चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि कुशेश्वरस्थान होते फूलतोड़ा (खगड़िया) जाने वाली सड़क के निर्माण की स्वीकृति मिल गई है। निविदा की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है। इस सड़क पर छह बड़े पूल बनने है

#राजेश_कुमार