क्या शेयर बाजार विधानसभा चुनाव नतीजों की तरफ कोई इशारा कर रहा है? मैं ये सवाल क्यों पूछ रहा हूं इसकी वजह बताता हूं. सेंसेक्स 3 दिनों में 1000 प्वाइंट गिर गया है, जबकि क्रूड कमजोर होना और रुपये का ठीक-ठाक स्तर पॉजिटिव फैक्टर हैं.
चलिए मान लिया कि एक कारण अंतरराष्ट्रीय बाजारों का असर है फिर भी अचानक इतनी गिरावट बताती है कि शेयर बाजार नतीजों के पहले नर्वस है और उसे 2019 की फिक्र खाए जा रही है?
शेयर बाजार को डबल अटैक
असल में शेयर बाजार को दो तरफ से मार पड़ रही है. एक तो ग्लोबल ग्रोथ कम होने की फिक्र में अमेरिका से एशिया तक सभी शेयरबाजारों में गिरावट का असर. दूसरी बात घरेलू है लेकिन ज्यादा बड़ी है वो है अगले चुनाव के पहले अनिश्चितता की आहट. 11 दिसंबर को 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने हैं जिनमें बीजेपी की स्पष्ट जीत का अनुमान सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही लगाया जा रहा है.
एमपी में बीजेपी सरकार नहीं बनी तो बाजार में गिरावट बढ़ेगी
इसकी वजह एकदम साफ है, मध्यप्रदेश बीजेपी का गढ़ है यहां 15 साल से लगातार उसकी सरकार है. राजस्थान के बारे में तो पहले ही वसुंधरा राजे सरकार की हार का अनुमान लगाया जा रहा है, लेकिन मध्यप्रदेश का हाथ से निकलना बीजेपी के लिए तगड़ा झटका माना जाएगा.
मध्यप्रदेश में अगर शिवराज चौहान की वापसी नहीं होती तो समझिए कि गिरावट और जोखिम वाले दिन कम से कम 2019 के चुनाव के नतीजों तक चलने वाले हैं.
अगले 2 ट्रेडिंग सत्र अलर्ट रहें जोखिम से बचें
शेयर बाजार के लिए 7 दिसंबर और 10 दिसबंर के ट्रेडिंग सेशन दिल की धड़कन बढ़ाने वाले हैं. नतीजे 11 दिसंबर को आएंगे पर 7 दिसंबर की शाम को जो एक्जिट पोल आएंगे उसका असर सोमवार 10 दिसंबर को दिखेगा. 11 दिसंबर को 12 बजे तक तस्वीर साफ हो जाएगी कि 5 राज्यों में कौन सरकार बना रहा है.
मार्केट की नब्ज जानने वाले कहते हैं अगर राजस्थान में बीजेपी हारती है तो परवाह नहीं. इस बात की भी फिक्र नहीं कि छत्तीसगढ़ में किसकी सरकार बनती है. लेकिन मध्यप्रदेश मेक या ब्रेक है.
एमपी अगर बीजेपी के हाथ से फिसला तो बाजार को जोर का झटका जोर से लगेगा. लेकिन अगर यहां बीजेपी की वापसी होती है तो शेयर बाजार में बढ़ोतरी होगी
चलिए मान लिया कि एक कारण अंतरराष्ट्रीय बाजारों का असर है फिर भी अचानक इतनी गिरावट बताती है कि शेयर बाजार नतीजों के पहले नर्वस है और उसे 2019 की फिक्र खाए जा रही है?
शेयर बाजार को डबल अटैक
असल में शेयर बाजार को दो तरफ से मार पड़ रही है. एक तो ग्लोबल ग्रोथ कम होने की फिक्र में अमेरिका से एशिया तक सभी शेयरबाजारों में गिरावट का असर. दूसरी बात घरेलू है लेकिन ज्यादा बड़ी है वो है अगले चुनाव के पहले अनिश्चितता की आहट. 11 दिसंबर को 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने हैं जिनमें बीजेपी की स्पष्ट जीत का अनुमान सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही लगाया जा रहे है
एमपी में बीजेपी सरकार नहीं बनी तो बाजार में गिरावट बढ़ेगी
इसकी वजह एकदम साफ है, मध्यप्रदेश बीजेपी का गढ़ है यहां 15 साल से लगातार उसकी सरकार है. राजस्थान के बारे में तो पहले ही वसुंधरा राजे सरकार की हार का अनुमान लगाया जा रहा है, लेकिन मध्यप्रदेश का हाथ से निकलना बीजेपी के लिए तगड़ा झटका माना जाएगा.
मध्यप्रदेश में अगर शिवराज चौहान की वापसी नहीं होती तो समझिए कि गिरावट और जोखिम वाले दिन कम से कम 2019 के चुनाव के नतीजों तक चलने वाले हैं.
- अगले 2 ट्रेडिंग सत्र अलर्ट रहें जोखिम से बचें
शेयर बाजार के लिए 7 दिसंबर और 10 दिसबंर के ट्रेडिंग सेशन दिल की धड़कन बढ़ाने वाले हैं. नतीजे 11 दिसंबर को आएंगे पर 7 दिसंबर की शाम को जो एक्जिट पोल आएंगे उसका असर सोमवार 10 दिसंबर को दिखेगा. 11 दिसंबर को 12 बजे तक तस्वीर साफ हो जाएगी कि 5 राज्यों में कौन सरकार बना रहा है.
मार्केट की नब्ज जानने वाले कहते हैं अगर राजस्थान में बीजेपी हारती है तो परवाह नहीं. इस बात की भी फिक्र नहीं कि छत्तीसगढ़ में किसकी सरकार बनती है. लेकिन मध्यप्रदेश मेक या ब्रेक है.
- एमपी अगर बीजेपी के हाथ से फिसला तो बाजार को जोर का झटका जोर से लगेगा. लेकिन अगर यहां बीजेपी की वापसी होती है तो शेयर बाजार में आगे तेजी बढ़ेगी.
मध्यप्रदेश के नतीजे अहम क्यों?
शेयर बाजार को कंफ्यूजन पसंद नहीं. लेकिन मध्यप्रदेश में बीजेपी का हार का मतलब होगा 2019 में मोदी की सरकार की वापसी पर सवाल.
- राजस्थान के बारे में सभी ओपिनियन पोल के मुताबिक कांग्रेस की जीत के आसार.
- छत्तीसगढ़ में बीजेपी की जीत आसान मानी जा रही है.
- तेलंगाना और मिजोरम में बीजेपी की दावेदारी नहीं है.
- बच गया मध्यप्रदेश जहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर है
मध्यप्रदेश में मुकाबला इतना कड़ा है कि नतीजा किसी भी तरफ जा सकता है. हालांकि चुनाव के ऐन पहले आए ओपिनियन पोल में कांग्रेस को बढ़त दिखाई जा रही थी.
मोदी सरकार पर असर डालेंगे मध्यप्रदेश के नतीजे
मौजूदा विधानसभा चुनाव 2019 में फाइनल के पहले का सेमीफाइनल मुकाबला माना जा रहा है. इन 5 में 3 राज्यों में बीजेपी सरकार है जहां उसका मुकाबला सीधे तौर पर कांग्रेस से है.
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को तीनों राज्यों की 65 लोकसभा सीटों में 62 सीटें मिलीं थीं. इसलिए इन राज्यों में कोई भी उलटफेर सीधे तौर पर 2019 में मोदी सरकार के भविष्य पर असर डालेगी
क्या शेयर बाजार विधानसभा चुनाव नतीजों की तरफ कोई इशारा कर रहा है? मैं ये सवाल क्यों पूछ रहा हूं इसकी वजह बताता हूं. सेंसेक्स 3 दिनों में 1000 प्वाइंट गिर गया है, जबकि क्रूड कमजोर होना और रुपये का ठीक-ठाक स्तर पॉजिटिव फैक्टर हैं.
चलिए मान लिया कि एक कारण अंतरराष्ट्रीय बाजारों का असर है फिर भी अचानक इतनी गिरावट बताती है कि शेयर बाजार नतीजों के पहले नर्वस है और उसे 2019 की फिक्र खाए जा रही है?
शेयर बाजार को डबल अटैक
इसकी वजह एकदम साफ है, मध्यप्रदेश बीजेपी का गढ़ है यहां 15 साल से लगातार उसकी सरकार है. राजस्थान के बारे में तो पहले ही वसुंधरा राजे सरकार की हार का अनुमान लगाया जा रहा है, लेकिन मध्यप्रदेश का हाथ से निकलना बीजेपी के लिए तगड़ा झटका माना जाएगा.
अगले 2 ट्रेडिंग सत्र अलर्ट रहें जोखिम से बचें
शेयर बाजार के लिए 7 दिसंबर और 10 दिसबंर के ट्रेडिंग सेशन दिल की धड़कन बढ़ाने वाले हैं. नतीजे 11 दिसंबर को आएंगे पर 7 दिसंबर की शाम को जो एक्जिट पोल आएंगे उसका असर सोमवार 10 दिसंबर को दिखेगा. 11 दिसंबर को 12 बजे तक तस्वीर साफ हो जाएगी कि 5 राज्यों में कौन सरकार बना रहा है.
एमपी अगर बीजेपी के हाथ से फिसला तो बाजार को जोर का झटका जोर से लगेगा. लेकिन अगर यहां बीजेपी की वापसी होती है तो शेयर बाजार में आगे तेजी बढ़ेगी.
मध्यप्रदेश के नतीजे अहम क्यों?
शेयर बाजार को कंफ्यूजन पसंद नहीं. लेकिन मध्यप्रदेश में बीजेपी का हार का मतलब होगा 2019 में मोदी की सरकार की वापसी पर सवाल.
- राजस्थान के बारे में सभी ओपिनियन पोल के मुताबिक कांग्रेस की जीत के आसार.
- छत्तीसगढ़ में बीजेपी की जीत आसान मानी जा रही है.
- तेलंगाना और मिजोरम में बीजेपी की दावेदारी नहीं है.
- बच गया मध्यप्रदेश जहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर है
मध्यप्रदेश में मुकाबला इतना कड़ा है कि नतीजा किसी भी तरफ जा सकता है. हालांकि चुनाव के ऐन पहले आए ओपिनियन पोल में कांग्रेस को बढ़त
मोदी सरकार पर असर डालेंगे मध्यप्रदेश के नतीजे
मौजूदा विधानसभा चुनाव 2019 में फाइनल के पहले का सेमीफाइनल मुकाबला माना जा रहा है. इन 5 में 3 राज्यों में बीजेपी सरकार है जहां उसका मुकाबला सीधे तौर पर कांग्रेस से है.
नतीजों का शेयर बाजार पर कैसा असर होगा
7 नवंबर को सेंसेक्स जिन स्तरों पर था थोड़ा चढ़ने के बाद 6 दिसंबर को लुढ़ककर वहीं पहुंच गया. मतलब साफ है बाजार को अनिश्चितता से घबराहट हो रही है.
- राजस्थान में बीजेपी की हार भी गई पर छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश जीत लेती है तो भी शेयर बाजार में ज्यादा डर नहीं होगा
- अगर बीजेपी राजस्थान और मध्यप्रदेश दोनों हार जाती है तो शेयर बाजार में बड़ी उठा-पटक होगी.
हालांकि ग्लोबल फैक्टर भी बहुत अच्छे नहीं हैं पर अगले 6 महीनों तक चुनाव के नतीजों की अटकलें हीं मुख्य फैक्टर होंगे. शेयर बाजार को केंद्र में बहुमत वाले गठबंधन या सिंगल पार्टी के बहुमत वाली सरकार की पसंद होती हैं.
अभी आप क्या करें
जानकार कहते हैं कि अनिश्चितता के माहौल में जोखिम ज्यादा होता है इसलिए सबसे पहला काम करिए कि जिन शेयरों में कमाई हो चुकी है वहां थोड़ा मुनाफा कमा लीजिए. कुछ समझ नहीं आ रहा हो तो कैश पर बैठने में हर्ज नहीं और फैसला लेने के लिए गुबार छंटने का इंतजार कीजिए.