अभय कुमार की ग्राउंड रिपोर्ट —
पटना [जनादेश एक्सप्रेस ]। बिहार के अस्पताल ही सुर्खियों में आ जाते हैं। कहीं तो चूहे नौ महीने के मासूम को कुतर डालते हैं जिससे उसकी मौत हो जाती है तो कहीं अस्पताल का चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी टॉर्च की रौशनी में महिला के हाथ का अॉपरेशन कर देता है जिससे महिला मरीज की मौत हो जाती है। कहीं अॉपरेशन के बाद महिला मरीजों को बेड नहीं जमीन पर लिटा दिया जाता है तो कहीं अस्पताल के बेड पर कुत्ते आराम फरमाते नजर आते हैं।
अस्पताल में मरीजों के बेड पर यहां आराम फरमाते हैं कुत्ते
ताजा मामला नवादा जिले के सदर अस्पाल के जेनरल वार्ड की है जहां मरीजों के एक बेड पर दो कुत्ते आराम फरमाते दिख रहे हैं। सदर अस्पताल परिसर में आवारा मवेशियों के घुमने की बात कोई नई नहीं है। कभी गाय तो कभी कुत्ता। कभी बकरी तो कभी मुर्गा-मुर्गी अस्पताल परिसर में घूमते दिखते हैं।
सदर अस्पताल में बुधवार को मरीज के लिए लगे हुए एक बेड पर दो दो आवारा कुत्तों के आ जाने से मरीज से लेकर उनके अभिभावक तक परेशान थे। खासकर रात के समय में ये कुत्ते मरीजों के समीप ही आकर बैठ जाते हैं। ऐेसे में उनके काटने का डर मरीजों के मन में हमेशा बना रहता है।
सिविल सर्जन ने दी सफाई
बहरहाल, सदर अस्पताल में कुत्तों के प्रवेश का मामला मीडिया में आने के बाद अस्पताल प्रबंधन भी हरकत में दिखने लगा है। सिविल सर्जन डॉक्टर श्रीनाथ प्रसाद ने कहा कि यह पूरा मामला उनके संज्ञान में आया है। अस्पताल उपाधीक्षक के साथ ही वहां ड्यूटी पर रहे कर्मियों से शाेकॉज किया जाएगा।
सीएस ने अस्पताल परिसर में कुत्तों के रहने को लेकर कहा कि चूंकि अस्पताल कैंपस खुला हुआ है इसलिए कुत्ते यहां आसानी से चले आते हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि अस्पताल के अंदर आवारा पशुओं के प्रवेश पर रोक लगाने के लिए जल्द ही कुछ ठोस पहल की जाएगी।
तेजस्वी ने ट्वीट कर बिहार सरकार पर कसा तंज
नवादा सदर अस्पताल के बेडों पर कुत्तों के सोने की तस्वीर प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट की है। तेजस्वी ने तस्वीरें ट्वीट करने के साथ ही प्रदेश सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं पर तंज कसा है। उन्होंने लिखा है कि कुछ केंद्रीय मंत्री हिंदुस्तानियों को पाकिस्तान भेजने में मस्त हैं और यहां की स्वास्थ्य सेवाएं बेहाल हैं।
बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने लिखा, ‘बिहार के नवादा सदर अस्पताल की दुर्लभ तस्वीर, जहां मरीजों को बेड नहीं मिलते लेकिन कुत्ते बेड पर कब्जा कर आराम फ़रमाते हैं। यहां के सांसद सह केंद्रीय मंत्री हिंदुस्तानियों को पाकिस्तान भेजने में मस्त और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री दूसरे देश-प्रदेश घूमने और मौज-मस्ती में व्यस्त हैं।’
डीएमसीएच में चूहों के कुतरने से नवजात की हो गई थी मौत
कुछ महीने पहले दरभंगा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, डीएमसीएच की एक बड़ी लापरवाही सामने आई थी, जहां चूहे के काटने से कथित तौर पर एक नवजात की मौत हो गई थी। मधुबनी के सकरी थाना के निवासी फिरन चौपाल ने अपने गंभीर रूप से बीमार नौ दिन के नवजात को डीएमसीएच में भर्ती कराया था।
उन्होंने आरोप लगाया था कि नवजात शिशुरोग विभाग के आईसीयू में भर्ती था और देर रात चूहे के कुतरने से उसके बच्चे की मौत हो गई। बच्चा रात एक बजे तक पूरी तरह स्वस्थ था और जब मंगलवार की सुबह पांच बजे जब परिजन उसे देखने गए तो देखा चूहे बच्चे के हाथ-पैर को कुतर रहे थे और बच्चा मृत पड़ा था।
मरीज को पानी की जगह पिला दिया तेजाब, हो गई मौत
बीते साल मुजफ्फरपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती एक महिला को अस्पताल के कर्मचारी ने दवा खाने के लिए गलती से पानी की जगह तेजाब दे दिया, जिसके कारण महिला की मौत हो गई। वैशाली जिले के गोरौल पुलिस थाना अंतर्गत एक गांव की रहने वाली श्यामली देवी मुजफ्फरपुर के ब्रह्मपुरा पुलिस थाना अंतर्गत अस्पताल में आंख का ऑपरेशन हुआ था।
अॉपरेशन के बाद महिलाओं को जमीन पर सुला दिया
भोजपुर जिले के आरा प्रखंड अस्पताल में ऑपरेशन के बाद मरीजों को सर्जरी के बाद जमीन पर लिटा दिया गया। दरअसल दर्जनों महिला मरीजों का अस्पताल में नसबंदी का ऑपरेशन किया गया था और इसके बाद उन्हें अस्पताल प्रबंधन ने बरामदे में फर्श पर लिटा दिया गया।
मरीज के परिजनों ने बताया कि वो सभी अपना इलाज करवाने को विवश हैं। अस्पताल कर्मी और चिकित्सकों के द्वारा इनको बेड मुहैया नहीं कराया गया और चिकित्सकों समेत कर्मचारियों ने यह कहा कि आप लोगों को जमीन पर ही सोना पड़ेगा और तो और रात को अस्पताल में कोई चिकित्सक उपलब्ध नहीं था। महिला चिकित्सक के नाम पर एक डॉक्टर की ड्यूटी थी मगर वो भी अपनी ड्यूटी से गायब थी।
अस्पताल के स्वीपर ने टॉर्च की रोशनी में किया अॉपरेशन, मरीज की मौत
सहरसा की रूबी कुमारी को उसके परिजन सहरसा के सदर अस्पताल में इलाज के लिए लेकर गए थे, जहां अस्पताल के स्वीपर के द्वारा टॉर्च की रोशनी में उसके जख्मी हाथों की सर्जरी की गई थी। इसके बाद रूबी कुमारी को रेफर कर दिया गया था जहां पटना के एक निजी क्लिनिक में उसकी मौत हो गई।
अस्पताल की इस लापरवाही की खबर मीडिया में आने के बाद सिविल सर्जन सहरसा, डॉक्टर अशोक सिंह ने अॉपरेशन करने वाले चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शंभू मलिक को निलंबित कर दिया और अस्पताल में उस वक्त ड्यूटी में तैनात डॉ रतन कुमार से सफाई मांगी गई है। साथ ही अस्पताल के उपाधीक्षक अनिल कुमार से भी मामले में सफाई मांगी गई। लेकिन रूबी की तो जान चली गई।
राज्य सरकार चाहे जो भी कह ले, लेकिन राज्य में अस्पतालों के कुप्रबंधन की तस्वीरें मीडिया में आने के बाद राज्य के स्वास्थ्य महकमे की किरकिरी होती ही है। प्रबंधन में लापरवाही और उदासीन रवैये का खामियाजा केवल मरीज और उसके परिजनों को भुगतनी पड़ती है।