बिहार पुलिस के इतिहास की कलंक कथा ” सिपाही विद्रोह “
अपराध पर नियंत्रण करने वालो ने ही किया आपराधिक वारदात ।
( नियम व कानून कि पाठ पढ़ाने वाले वह सिपाही जिन्हें जिम्मेदारी देने के पूर्व ही कर्तव्यनिष्ठा का पाठ पढ़ाया जाता है आखिरकार वहीं कर्तव्य निष्ठ सिपाही अपने ही पदाधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल देते हैं तो कहीं ना कहीं इस सिस्टम की कमी को उजागर करता है बिहार का सिपाही विद्रोह बिहार पुलिस के इतिहास का एक काला अध्याय बनकर रह जाएगा। शायद इस काले अध्याय को बिहार के मुखिया नीतीश कुमार भी समाप्त नहीं कर पाएंगे क्योंकि आज तक जितने भी जांच बिहार के अंदर कराए गए हैं कोई अपने नतीजे तक नहीं पहुंच पाया है ,ऐसे में सिपाही विद्रोह के जनक तक बिहार सरकार कैसे पहुंच पाएंगे । )
जनादेश ब्यूरो पटना —–
राजधानी पटना में अपनी महिला साथी की मौत के बाद आक्रोशित पुलिसवालों ने किसी को नहीं छोड़ा. सार्जेंट और डीएसपी की पिटाई के बाद पुलिस लाइन के आसपास के हालात ऐसे रहे कि पटना के एसएसपी मनु महाराज भी पुलिस लाइन में प्रवेश करने की हिम्मत नहीं कर पाए. इस मामले में बिहार के डीजीपी ने कहा है कि ट्रेनी पुलिसवालों को किसी ने भड़काया है जिसके बाद ऐसी घटना है. ये पूरा मामला जांच का विषय है.
एक मीटिंग के सिलसिले में दिल्ली गए डीजीपी ने न्यूज 18 से कहा कि इस पूरे मामले में मैंने अपने अधिकारियों को नजर बनाए रखने का निर्देश दिया है. डीजीपी ने कहा कि महिला सिपाही की मौत किस कारण से हुई है ये जांच का विषय है लेकिन इस घटना के बाद जिस तरह का आक्रोश ट्रेनी पुलिसवालों ने दिखाया है वो गलत है.
डीजीपी ने कहा कि पुलिस बनने वालों को पहले पुलिसिंग का सेंस समझने की जरूरत है क्योंकि कानून सबके लिए एक समान है. उन्होंने मामले में दोषियों पर कार्रवाई करने की भी बात कही. इससे पहले ट्रेनी सिपाही की मौत से नाराज पुलिसवालों ने पुलिस लाइन में विद्रोह कर दिया और किसी को नहीं छोड़ा.
पटना की सड़कों पर वर्दी वाले गुडों ने मीडिया कर्मियों को भी दौड़ा दौड़कर पीटा साथ ही अपना गुस्सा निकालने के लिए आम जनता को भी निशाना बनाया है. साथी की मौत से गुस्साए पुलिसवालों ने सिटी एसपी और ग्रामीण एसपी और डीएसपी और सार्जेंट समेत पुलिस के कई अधिकारियों को घेर का बुरी तरह पीटा. कई राउंड फायरिंग भी हुई है साथ ही मुहल्ले के लोगों के साथ भी पुलिसवालों ने मारपीट की.
पटना सिपाही विद्रोह — अपने ही पुलिसकर्मियों पर लाचार दिखे मनू महाराज
राजधानी पटना में हुए सिपाही विद्रोह के दौरान पटना पुलिस पनाह मांगती दिखी. महिला पुलिसकर्मी की डेंगू से मौत के बाद पुलिसकर्मियों ने अधिकारियों पर प्रताड़ना का आरोप लगाया और फिर देखते ही देखते इस घटना ने विद्रोह का रूप अख्तियार कर लिया. पुलिसवालों ने पुलिस लाइन में जमकर हंगामा मचाया और अपने अधिकारियों तक को पीट डाला. ट्रेनी पुलिसकर्मियों ने सिटी एसपी, डीएसपी और सार्जेंट मेजर को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा. नतीजन पटना के एससपी और सुपर कार्प मनु महाराज को भी अपने मातहतों के पास जाने से पहले कई बार सोचना पड़ा. लाठी और डंडे से लैस पुलिसकर्मियों ने अधिकारियों को खदेड़ दिया है और गाड़ियों को तोड़े. अपने ही साथी पुलिसकर्मियों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल की तरफ से कई राउंड हवाई फायरिंग की गई है पुलिसकर्मियों ने किसी की भी नहीं सुनी. हंगामे की घटना के एक घंटे बाद एसएसपी मनु महाराज घटनास्थल पहुंचे हैं और पुलिसकर्मियों को समझाने का प्रयास कर रहे हैं.
एसएसपी ने बताया कि आरोपी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जाएगी और घटना के पीछे के कारणों का पता लगाया जाएगा. साथी की मौत से नाराज पुलिसकर्मियों का आरोप है कि महिला सिपाही की तबियत खराब होने के बाद भी उसे छुट्टी नहीं दी गई जिसके कारण इलाज में देर हुई और उसकी मौत हो गई
सिपाही बिद्रोह पर यूपी के पूर्व डीजीपी बोले दोषियों पर कार्यवाही हो —
इलाज के दौरान महिला सिपाही की मौत के बाद पटना पुलिस लाइन में शुक्रवार को सिपाहियों का विद्रोह खुलकर देखने को मिला. आक्रोशित सिपाहियों ने दर्जनों गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई और कई राउंड गोलियां भी चलाई गई. हंगामे के दौरान एसपी सिटी की पिटाई की भी सूचना है. हंगामे के दौरान सार्जेंट मेजर सह डीएसपी मसलाउद्दीन, एसपी सिटी और एसपी ग्रामीण को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया. सिपाहियों के इस विद्रोह को यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कड़े शब्दों में निंदा की है. उन्होंने कहा कि पटना की यह घटना देश की पुलिस के लिए एक गलत संदेश है.
विक्रम सिंह ने कहा कि सिपाहियों के इस विरोध पर बिहार पुलिस के अधिकारियों को कड़ा एक्शन लेना चाहिए, जिससे एक नजीर पेश हो. उन्होंने कहा कि दोषी सिपाहियों को चिन्हित कर कठोरतम कार्रवाई की जानी चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि इसमें बड़े अधिकारियों की भी लापरवाही है. क्योंकि ऐसी नौबत आनी ही नहीं चाहिए.
विक्रम सिंह ने कहा कि जहां तक छुट्टी का सवाल है उसके लिए बड़े अधिकारियों को एक बेहतर माहौल बनाना चाहिए. अधिकारियों के लिए सिपाही उनके बच्चे की तरह होते हैं. लेकिन यह बात भी है कि पुलिस फोर्स के नियमावली के तहत लिखा हुआ है कि छुट्टी किसी का मौलिक अधिकार नहीं हो सकता. एक बार में 10 परसेंट लोगों को ही छुट्टी दी जा सकती है. अब इसमें कैसे सामंजस्य बैठाना है यह अधिकारियों का काम है. आज की घटना में बड़े अधिकारियों की भी गलती उजागर हो रही है. इस विद्रोह को नजीर के साथ शांत किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि 1990 के दौरान कानपुर में होमगार्ड के जवानों ने विद्रोह किया था. जिससे पुलिस ने सख्ती से निपटा था. उसके बाद से आज तक कोई विद्रोह नहीं हुआ.
गौरतलब है कि पुलिस लाइन में तैनात एक महिला सिपाही काफी दिनों से बीमार थी. वह काफी समय से छुट्टी मांग रही थी, लेकिन उसे छुट्टी नहीं मिल रही थी. जब उसका स्वास्थ्य अधिक खराब हो गया तो उसे पटना के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. शुक्रवार को इलाज के दौरान महिला सिपाही की मौत हो गई. इस बात से नाराज पुलिस कांस्टेबलों ने हंगामा कर दिया. कांस्टेबलों ने पुलिस लाइन में खड़ी दर्जनों गाड़ियों में तोड़फोड़ कर दी और कई राउंड गोलियां चलाईं. हंगामे के दौरान सार्जेंट मेजर सह डीएसपी मसलाउद्दीन, एसपी सिटी और एसपी ग्रामीण को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया.