लखनऊ, 19 दिसम्बर (मंटू सिंह )| उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर हिंसा मामले में एकतरफ जहां विपक्ष, सरकार को घेरने में जुटा है, वहीं दूसरी ओर सेवानिवृत्त नौकरशाह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर सवाल खड़े कर रहे हैं। करीब तीन दर्जन पूर्व आईएएस अफसरों ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की है। इन सभी अफसरों ने आरोप लगाया है कि बुलंदशहर हिंसा को राजनीतिक रंग दिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने इससे पहले भी कई मसलों पर खुला खत लिखा है।
मुख्यमंत्री के नाम भेजे गए अपने पत्र में पूर्व अधिकारियों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ ने बुलंदशहर हिंसा को गंभीरता से नहीं लिया। मुख्यमंत्री सिर्फ गोकशी मामलों पर ध्यान दे रहे हैं।
इन सभी अधिकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने बुलंदशहर हिंसा को गंभीरता से नहीं लिया था। इन सभी पूर्व नौकरशाहों ने योगी सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है।
पूर्व नौकरशाहों का पत्र ऐसे समय आया है जब बुलंदशहर हिंसा की जांच एसआईटी ने पूरी कर ली है।
इस जांच में सामने आया है कि हिंसा से पहले गोकशी हुई थी। इस आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस्तीफा मांगने वालों में पूर्व अफसर बृजेश कुमार, अदिति मेहता, सुनील मित्रा जैसे बड़े नाम शामिल हैं।
गौरतलब है कि स्याना कोतवाली के चिंगरावठी गांव में गोवंश के अवशेष मिलने के बाद हिंसा भड़की थी।
इसके बाद 400-500 की भीड़ ने चिंगरावठी चौकी पर हमला कर दिया और चौकी समेत कई वाहनों में आग लगा दी।
इस हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और एक ग्रामीण सुमित की गोली लगने से मौत हो गई थी।
मामले में पुलिस ने गोकशी और हिंसा और बवाल की दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की है।
मामले में अभी तक पुलिस ने 17 आरोपियों को गिरफ्तार किया है जबकि एक मुख्य आरोपी विशाल त्यागी ने सोमवार शाम को अदालत में समर्पण कर दिया।